Thursday, February 19, 2009

संकरण की मानसिकता

अभी पिछले दिनों नगर में भारत निर्माण एवं जनसूचना कार्यक्रम का पांडाल लगा था जिसमे पशु चिकित्सा एवं पशु पालन के लिए स्टाल लगाए गए थे ।

इस स्टाल पर मैंने कहीं पढा था जो बड़ा ही रोचक था । वहाँ लगाए गए एक पोस्टर पर लिखा था अपने देशी नस्ल के पशु के बदले उन्नत नस्ल के पशु ले जाए ।

संकरण से नस्ल सुधार किए पशु बाजार में फैलाव लें इसकी मानसिकता से भरा यह प्रयास मुझे बड़ा ही रोचक और हमारी संकरित मानसिकता को रिफ्लेक्ट करता महसूस हुआ था ।

उच्च नस्ल के पशु का निम्न नस्ल के पशु से मेल करा उन्नत नस्ल के पशु का निर्माण कोई नई बात नही है लेकिन जो गन्दी मानसिकता हमारे समाज में आ गई उसे इस मुद्दे के साथ जोड़कर देखना मुझे लाजिमी लगा । काफी दिनों से सोचते रहने के बाद यह लेख हमारी मानसिक बीमारी को समर्पित कर रहा हूँ ।

हमेशा से कुछ नया सोचने को प्रेरित करने वाला हमारा समाज भूल जाता है की जिस जींस की सरंचना को प्रकृति ने संरक्षित रखा हम उसी से खिलवाड़ को उन्नत नस्ल के हथकंडे के रूप में प्रोत्साहित कर रहे हैं । घोडी और गधे के मेल से खच्चर पैदा किए गए थे और यह हमारा पहला प्रयास नपुंसक प्राणी पैदा करने में अपनी बिसात रखता है।

कुत्तों की नस्ल भी हमने जरूरत न होते हुए संक्रमित कर डाली । जर्मन शेफर्ड को पम्नेरेनियन से मेल कराने में हमने संकोच नही बरता और फ़िर विदेशी नस्ल की गायें और सांड से हमने हमारी प्रजाति को प्रभावित कर दिया । अगली श्रेणी में उन्नत नस्ल की फसलों का हम सफल प्रयोग कर रहे हैं।

नपुंसक खच्चर के बाद भी हमने कभी नही सोचा की यदि नस्लों में संकरण किया जाता है तो किस तरह हमारा पशु और पशु पालन प्रभावित होता है ।

अमरनाथ की यात्रा का संस्मरण याद आता है जब एक घोडी को जबरदस्ती पकड़े एक गधे को देखकर महसूस हुआ की घोडी अपना साथी सहज रूप से उसे बनाने को तैयार नही हो रही थी और पशु पालक घोडे को उनके समीप जाने देने में बाधक बना हुआ था।

नस्ल सुधार की बात पर मुझे किसी ने बताया की धरती के किसी भाग में इंसान अपनी नस्ल सुधारने के लिए गोरी मेमो को बंधक बना कर बलात्कार किया करते थे और उनकी जाती का सुधार उच्च नस्ल की इन मादाओं से कर वे गर्व से भर जाते थे । तलवार के जोर पर इन लोगों ने अपनी नस्ल उन्नत करने का प्रयोग किया और यही मानसिकता अब पूरी duniyaa को अपनी gandagi से भरने लगी है । sochen............

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